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फ्लैप- एक

पोथी : कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां
जद सूं कलम हाथ में थामी अर कीं लिखण-बांचण री बाण-कुबाण री पोसाळ पग धर्यौ उण घड़ी सूं ई न्यारी-न्यारी पत्र-पत्रिकावां मांय कन्हैयालाल भाटी रा उल्था बांचतौ रैयौ हूं। उल्थाकार रै रूप में आखै मुलक में जाणीजतौ अर न्यारौ-निरवाळौ नांव है- कन्हैयालाल भाटी। आप राजस्थानी में अेक संग्रै जित्ती कहाणियां लिखी है, आ म्हैं नीं जाणतौ हौ। कहाणीकार कन्हैयालाल भाटी आज तांई आलोचकां री दीठ सूं छाना रैया, पण कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया नैं लखदाद कै बां रै मारफत औ महताऊ संचै ‘कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां’ पाठकां साम्हीं आयौ।
आं कहाणियां री संवेदना अर सिल्प री कसावट पुखता रूप में हेला मार-मार’र जाणै कैवै कै आधुनिक राजस्थानी कहाणी री आ जातरा फळती-फूलती घणी-घणी आगै पूगगी है अर इणनैं औ मुकाम जिका कहाणीकारां हासिल करायौ बां में अेक नांव कन्हैयालाल भाटी रौ लिखीजणौ चाईजै। आं कहाणियां में भासा री खिमता पळका मारै। अठै आपां आ पण सीख सकां कै किणी भासा रौ विकास बंधणां अर परंपरा में कैद नीं होया करै, इण सारू तौ बंधण छोड’र परंपरा रै विकास में आधुनिकता सोध्यां ई मारग मिल सकै। आ आधुनिकता इण संग्रै री कहाणियां में देखी जाय सकै। आं कहाणियां में आपां नैं आपां रै असवाड़ै-पसवाड़ै रै जथारथ सूं बाथेड़ौ करतौ अर साच रा सुर साधण सारू सुख-दुख री बातां सूं जूझती मिनखाजूण रा केई रंग दीसैला। मिनख नैं छेकड़ कियां भाग रै चकारियै नैं सिकारणौ पड़ै? आपां अठै जीवण रा अैड़ा केई-केई निबळा अर सबळा-सांवठा पख ई देख-परख सकांला।
केई-केई रचनाकार फगत अर फगत लिखण अर पत्र-पत्रिकावां में छपण नै ई असली आणंद मानै। कन्हैयालाल भाटी बरसां सूं औ सुख भोगता रैया है। राजस्थानी रचनाकारां री पोथी-प्रकासन री अबखायां नैं कुण कोनी जाणै, सो बोधि प्रकासन नैं घणा-घणा रंग कै बौ हिंदी रै साथै-साथै राजस्थानी सारू ई घणौ सांतरौ काम कर रैयौ है।
-ओम पुरोहित ‘कागद’
24-दुर्गा कोलोनी, हनुमानगढ संगम-335512